Firstly, we’ll get an idea of what exactly is a laparoscopic hysterectomy. It is basically a minimal invasive surgery that is performed for the removal of uterus. A small incision is done in the belly button and the laparoscope is inserted through it.
महिलाओं के स्वास्थ्य समस्याओं की बात की जाए, तो जुलाई महीने की एक विशेष पहचान है। जुलाई का महीना फायब्रॉइड अवेयरनेस मंथ यानी फायब्रॉइड के विषय में जागृती लाने वाले महीने के रूप में जाना जाता है। इस समस्या से परेशान सभी महिलाओं को सहयोग देने का, इस विषय में उन्हें सही और अधिक जानकारी देने का इस महीने में हमारा प्रयास है।
किसी भी दंपती की यही मनोकामना होती है कि उन्हें नैसर्गिक रूप से गर्भाधान हो और सुरक्षित, स्वास्थ्यपूर्ण गर्भावस्था और प्रसूती हो| नैसर्गिक रूप से संतान प्राप्त करने के लिए, महिला और पुरुष दोनों को कुछ बातों की जानकारी होना और कुछ बातों में सावधानी रखना अनिवार्य होता है| इसी विषय की समग्र जानकारी इस ब्लॉग में दी गयी है।
प्रेग्नंसी होने के बाद डॉक्टर को दिखाने के लिये आनेवाले दंपतियों में एक बात समान होती है − ज्यादातर दंपती आकस्मिक रूप से गर्भाधान हो जाने के बाद ही डॉक्टर के पास आते हैं| वास्तविक, गर्भाधान हर व्यक्ती के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना है और इसके लिए सामाजिक, शारीरिक, आर्थिक, मानसिक तैयारी करके यह निर्णय लेना बहुत आवश्यक है।
महिलाओं को कई प्रकार की स्वास्थ्य विषयक समस्याएँ सताती रहती हैं। इनमें से एक है एडीनोमायोसिस! इस ब्लॉग में हम तीन विषयों की जानकारी प्राप्त करेंगे इसके लक्षण, कारण और उपचार
एंडोमेट्रिओसिस एक ऐसी बीमारी है जिससे अनेक महिलाएँ परेशान रहती है और कई बार यह संतानहीनता का भी कारण बन जाती है। इस बीमारी के बारे में और उसके क्या उपचार संभव हैं इस बारे में हम प्रस्तुत ब्लॉग में जानकारी हासिल करेंगे।
जुड़वाँ गर्भधारणा का जब निदान होता है तो दंपती की सब से पहली प्रतिक्रिया होती है, अचरज लगना। यह समाचार सुनकर दंपती हैरान हो जाते हैं और उनके मन में कई प्रकार के सवाल आते हैं| सब से आम चिंता होती है कि बच्चे जुडे हुए याने कनजोंइंड तो नहीं! दंपती को यह भी डर लगा रहता है की जुडवाँ गर्भ में कोई समस्या या अनैसर्गिकता तो नहीं है! आज कल फर्टिलिटी उपचारों की वजह से ट्विन्स होने की संभावना बढ गयी है।
जुडवाँ बच्चे होना वाकई कुदरत का करिश्मा होता है और इस विषय के बारे में सभी के मन में कौतुहल होता ही है| इस ब्लॉग में हम देखेंगे कि ट्विन्स या जुडवाँ बच्चे कैसे कन्सीव्ह होते हैं और इस के पीछे कारण क्या होता है! वैसे तो जुडवाँ बच्चे पैदा होने की औसत देखी जाए तो २५० में १ जुडवाँ बच्चों की डिलिव्हरी होती है| सब से पहले यह जान लेना जरूरी है कि जुडवाँ बच्चे दो प्रकार के होते है
फरवरी विशेष ब्लॉग्स: जुडवाँ गर्भधारणा जागृती मालिका IVF और जुडवाँ बच्चे होने की संभावना फरवरी के इस माह में हम एक ऐसे विषय के बारे में जानेंगे जिसे लेकर मन में कई भ्रांतियाँ, कई सवाल होते हैं: टेस्ट ट्यूब बेबी और ट्विन्स याने कि जुडवाँ बच्चे होने की संभावना! कई बार IVF कराने के लिए जो दंपती आते हैं उन्हें जुडवाँ ही हो तो चाहिए होते हैं और कुछ दंपती इसी बात से डरे होते हैं की IVF में जुडवाँ होने की संभावना होती है| इसीलिए ये बातें जान लेना आवश्यक है
पुरुषों के वीर्य की जाँच से संबंधित महत्वपूर्ण बातें वीर्य की जाँच, संतानहीनता के उपचार में एक बेहद ही आवश्यक और महत्वपूर्ण जाँच है | यह जानना बहुत जरूरी है कि यह जाँचकिस तरह से की जानी चाहिए, इसका सँपल इकट्ठा करने का सही तरीका क्या है? किस तरह की लैब में यह जाँच करवानी चाहिए ?
शुक्राणु की गुणवत्ता कैसे बढ़ाएँ अक्सर देखा गया है की पुरुषों में जो संतानहीनता पायी जाती है उसका एक कारण शुक्राणु की यथायोग्य गुणवत्ता न होना, यह भी है| शुक्राणु की गुणवत्ता कैसे बढाई जा सकती है यह जानने के लिए आगे जरूर पढ़ें| आज कल स्पर्म की गुणवत्ता में लगातार होती गिरावट दिख रही है और इसीलिए इस विषय के बारे में
Azoospermia और संतानहीनता
किसी भी दंपती को जब संतानहीनता की समस्या का सामना करना पड़ता है तो डॉक्टर सब से पहले पती के वीर्य की जाँच करवाने की सलाह देते हैं| इस जाँच से अॅझुस्पर्मिया याने शून्य शुक्राणु प्राप्त होने की स्थिती का पता चलता है और यह यकीनन संतानहीनता का एक प्रमुख कारण है| इस स्थिती में वीर्य में शून्य शुक्राणु...
लगातार छ: महीने प्रयास करने के बाद भी अगर प्रेग्नंसी ना रहे तो दंपती को चिंता होने लगती है कि उन्हें संतानहीनता की समस्या तो नहीं? ऐसे में जब डॉक्टर को दिखाया जाता है तो कई तरह की संभावनाओं का विचार करना पड़ता है| अगर शुक्राणु और बीज उत्पादन में कोई समस्या न हो तो सवाल उठता है: क्या महिला में ब्लॉक्ड फैलोपियन ट्यूब की समस्या है यानि क्या इन नालियों में रुकावट है?
जिंदगी के सारे मुकामों के लिए हम बड़ा नियोजन करते हैं, चाहे पढाई हो या शादी ब्याह; लेकिन अक्सर यह देखा जाता है कि दंपती के जीवन में और खास कर महिला के शरीर में जिस बात से सब से महत्वपूर्ण बदलाव आता है उस गर्भधारणा के विषय में बिलकुल नियोजन नहीं किया जाता| आज भी ज्यादातर दंपतियों में प्रेग्नंसी हो जाती है और फिर डॉक्टर से सलाह ली जाती है| वास्तव में प्रेग्नंसी या गर्भधारणा जैसी महत्वपूर्ण घटना यदि सुनियोजित की जाए तो स्वस्थ गर्भावस्था और स्वस्थ शिशु दोनों मुमकिन हो सकते हैं| इसी विषय में हर दंपती को चाहिए की ये कुछ बातें ध्यान में रखें:
ऐसा देखा गया है कि 6 में से 1 दम्पती को संतानहीनता की समस्या होती है और बहुत बार ऐसा होता है कि महिला अपने घर की किसी महिला के साथ इलाज करवाने आ जाती है| सच तो यह है कि संतानहीनता के कारणों की जाँच करते समय सब से पहले पुरुष के सिमेन याने वीर्य का विश्लेषण करवाया जाये तो बेहद जल्द और आसानी से कई बार इलाज की कूँजी मिल जाती है! WHO के 2010 के मानकों के अनुसार किसी अच्छी लॅब में पुरुषों के वीर्य का विश्लेषण करवाने से स्पर्म की संख्या, स्पर्म की मोटिलिटी (आगे बढने की क्षमता) तथा स्पर्म मॉर्फॉलॉजी याने स्पर्म की बनावट के बारे में पता चल जाता है और कई बार उपचारों से संतानहीनता की समस्या का हल मिल जाता है। उपर्युक्त तीन घटकों का पुरुषों की फर्टिलिटी में असामान्य महत्व होता है और यदि इनमें से एक भी बात में समस्या हो तो संतानहीनता हो सकती है।: